श्रीमद् भगवद् गीता प्रथम अध्याय अर्जुनविषादयोग
निहत्य धार्तराष्ट्रान्न: का प्रीति: स्याज्जनार्दन |
पापमेवाश्रयेदस्मान्हत्वैतानाततायिन: || ३६ ||
nihatya dhārtarāṣhṭrān naḥ kā prītiḥ syāj janārdana
pāpam evāśhrayed asmān hatvaitān ātatāyinaḥ
Hindi Translation:- हे जनार्दन ! धृतराष्ट्र के पुत्रों को मारकर हमें क्या प्रसन्नता होगी ? इन आततायियों को मारकर तो हमें पाप ही लगेगा।
English Translation:- What satisfaction or pleasure can we possibly derive, O JANARDHANA (Krishna) by doing away with the KAURAVAS (sons of Dhrtarashtha)? We will only commit a big sin by killing our desperate opponents?
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