श्रीमद् भगवद् गीता प्रथम अध्याय अर्जुनविषादयोग
एतान्न हन्तुमिच्छामि घ्नतोऽपि मधुसूदन |
अपि त्रैलोक्यराज्यस्य हेतो: किं नु महीकृते || ३५ ||
etān na hantum ichchhāmi ghnato ’pi madhusūdana
api trailokya-rājyasya hetoḥ kiṁ nu mahī-kṛite
Hindi Translation:- हे मधुसूदन ! मुझे मारने पर भी अथवा तीनों लोकों के राज्य के लिये भी मैं इन सबको मारना नहीं चाहता, फिर पृथ्वी के लिये तो कहना ही क्या है ?
English Translation:- Arjuna spoke to the Lord Madhusudhana (Lord Krishna):- I could not slay (kill) my relatives even if I had to give my own life away. I could not slay them even for domination of the three worlds; how could I slay them for domination of this earth.
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