श्रीमद् भगवद् गीता प्रथम अध्याय अर्जुनविषादयोग
येषामर्थे काङ्क्षितं नो राज्यं भोगा: सुखानि च |
त इमेऽवस्थिता युद्धे प्राणांस्त्यक्त्वा धनानि च || ३३ ||
yeṣhām arthe kāṅkṣhitaṁ no rājyaṁ bhogāḥ sukhāni cha
ta ime ’vasthitā yuddhe prāṇāṁs tyaktvā dhanāni cha
Hindi Translation:- हमें जिनके लिये राज्य, भोग और सुखादिं अभीष्ट हैं, वे ही ये सब धन और जीवन की आशा को त्याग कर युद्ध में खड़े हैं।
English Translation:- Those whom we seek these pleasures from (the enjoyment of kingdom), are standing before us staking their lives and property, possessions which I have no desire for.
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