श्रीमद् भगवद् गीता प्रथम अध्याय अर्जुनविषादयोग
न काङ्क्षे विजयं कृष्ण न च राज्यं सुखानि च |
किं नो राज्येन गोविन्द किं भोगैर्जीवितेन वा || ३२ ||
na kāṅkṣhe vijayaṁ kṛiṣhṇa na cha rājyaṁ sukhāni cha
kiṁ no rājyena govinda kiṁ bhogair jīvitena vā
Hindi Translation:- हे कृष्ण ! मैं न तो विजय चाहता हूँ और न राज्य तथा सुखों को ही । हे गोविन्द ! हमें ऐसे राज्य से क्या प्रयोजन है अथवा ऐसे भोगों से और जीवन से भी क्या लाभ है ?
English Translation:- O GOVINDA, (Krishna), what in the use of a kindgom, enjoyment or even life?
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