श्रीमद् भगवद् गीता पंचम अध्याय कर्मसंन्यासयोग
भोक्तारं यज्ञतपसां सर्वलोकमहेश्वरम् |
सुहृदं सर्वभूतानां ज्ञात्वा मां शान्तिमृच्छति || २९||
bhoktāraṁ yajña-tapasāṁ sarva-loka-maheśhvaram
suhṛidaṁ sarva-bhūtānāṁ jñātvā māṁ śhāntim ṛichchhati
Hindi Translation:- मेरा भक्त्त मुझको सब यज्ञ और तपों का भोगने वाला, सम्पूर्ण लोकों के ईश्वरों का भी ईश्वर तथा सम्पूर्ण भूत प्राणियों का सुह्रद् अर्थात् स्वार्थ रहित दयालु और प्रेमी, ऐसा तत्त्व से जान कर शान्ति को प्राप्त होता है।
English Translation:- The Lord declared -: O Arjuna, he who shall consider ME the enjoyer of sacrifices and all that is internally pure, and who is devoted to ME, the God of all worlds and well-wisher of all beings, attains true, everlasting peace.
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