श्रीमद् भगवद् गीता पंचम अध्याय कर्मसंन्यासयोग
योऽन्त:सुखोऽन्तरारामस्तथान्तज्र्योतिरेव य: ।
स योगी ब्रह्मनिर्वाणं ब्रह्मभूतोऽधिगच्छति ।। २४ ।।
yo ‘ntaḥ-sukho ‘ntar-ārāmas tathāntar-jyotir eva yaḥ
sa yogī brahma-nirvāṇaṁ brahma-bhūto ‘dhigachchhati
Hindi Translation:- जो पुरुष अन्तरात्मा में ही सुख वाला है, आत्मा में ही रमण करने वाला है तथा जो आत्मा में हीं ज्ञान वाला है, वह सच्चिदानन्दधन परब्रह्म परमात्मा के साथ एकीभाव को प्राप्त सांख्य योगी शान्त ब्रह्म को प्राप्त होता है।
English Translation:- One who is truly happy, peaceful and enlightened with his Soul, that wise man (Yogi) has combined with the supreme Soul (God) as one and attains freedom from all bondages to the world.
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