श्रीमद् भगवद् गीता पंचम अध्याय कर्मसंन्यासयोग
इहैव तैर्जित: सर्गो येषां साम्ये स्थितं मन: |
निर्दोषं हि समं ब्रह्म तस्माद् ब्रह्मणि ते स्थिता: || १९ ||
ihaiva tair jitaḥ sargo yeṣhāṁ sāmye sthitaṁ manaḥ
nirdoṣhaṁ hi samaṁ brahma tasmād brahmaṇi te sthitāḥ
Hindi Translation:- जिनका मन सम भाव में स्थित है, उनके द्वारा इस जीवित अवस्था में ही सम्पूर्ण संसार जीत लिया गया है ; क्योंकि सच्चिदानन्दधन परमात्मा निर्दोष और सम है, इससे सच्चिदानन्दधन परमात्मा में ही स्थित हैं।
English Translation:- O Arjuna, those who are even-minded and treat everybody as equals in all respects, have reached the ultimate goal of life and have conquered the whole world because God is perfect, without defect, and makes no distinction also. Therefore, they are,in reality, one with God.
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