Bhagavad Gita Chapter 5 Shloka 1 | श्रीमद्भगवद्गीता

0
7805
Bhagavad Gita Chapter 5 image

श्रीमद् भगवद् गीता पंचम अध्याय कर्मसंन्यासयोग

अर्जुन उवाच

संन्यासं कर्मणां कृष्ण पुनर्योगं च शंससि |
यच्छ्रेय एतयोरेकं तन्मे ब्रूहि सुनिश्चितम् || १
||

arjuna uvācha
sannyāsaṁ karmaṇāṁ kṛiṣhṇa punar yogaṁ cha śhansasi
yach chhreya etayor ekaṁ tan me brūhi su-niśhchitam

Hindi Translation:- अर्जुन बोले -: कृष्ण ! आप कर्मों के संन्यास की और फिर कर्मयोग की प्रशंसा करते हैं। इसलिये इन दोनों में से जो एक मेरे लिये भली भाँति निश्चित कल्याण कारक साधन हो, उस को कहिये।

English Translation:- Arjuna asked the Great Lord -:Dear Krishna, I am still confused. I have heard praise of Yoga as well as of Sannyaas (Holy Pilgrimage), from You. Which one of these two O Lord, is the best path for me?


Random Posts

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here