श्रीमद् भगवद् गीता चतुर्थ अध्याय ज्ञानकर्मसंन्यासयोग
श्रद्धावान् लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय: |
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति || ३९ ||
śhraddhāvānllabhate jñānaṁ tat-paraḥ sanyatendriyaḥ
jñānaṁ labdhvā parāṁ śhāntim achireṇādhigachchhati
Hindi Translation:- जितेन्द्रिय साधन परायण और श्रद्धावान् मनुष्य ज्ञान को प्राप्त होता है तथा ज्ञान को प्राप्त होकर वह बिना विलम्ब के — तत्काल ही भगवत्प्राप्ति रूप परम शान्ति को प्राप्त हो जाता है।
English Translation:- To abtain Gyan, one must conquer the senses, and develop a real devotion and faith towards the Lord. When one obtains Gyan, he has discovered the key to Supreme peace.
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