Bhagavad Gita Chapter 4 Shloka 34 | श्रीमद्भगवद्गीता

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श्रीमद् भगवद् गीता चतुर्थ अध्याय ज्ञानकर्मसंन्यासयोग

तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया |
उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिन: || ३४ ||

tad viddhi praṇipātena paripraśhnena sevayā
upadekṣhyanti te jñānaṁ jñāninas tattva-darśhinaḥ

Hindi Translation:- उस ज्ञान को तू तत्त्वदर्शी ज्ञानियों के पास जाकर समझ, उनको भली भाँति दण्डवत्-प्रणाम करने से, उनकी सेवा करने से और कपट छोड़कर सरलता पूर्वक प्रश्न करने से वे परमात्मा तत्त्व को भली भाँति जानने वाले ज्ञानी महात्मा तुझे उस तत्त्व ज्ञान का उपदेश करेंगे।

English Translation:- The Lord advised -: O Arjuna, learn the principles of Gyan and ask questions about Gyan respectfully and with determination, from those who fully understand the principles of Gyan. Thay will explain “Gyan” to you. Knowing Gyan, you will never be in the confused state as you are in now.


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