श्रीमद् भगवद् गीता चतुर्थ अध्याय ज्ञानकर्मसंन्यासयोग
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत |
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् || ७ ||
yadā yadā hi dharmasya glānir bhavati bhārata
abhyutthānam adharmasya tadātmānaṁ sṛijāmyaham
Hindi Translation:- हे भारत ! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्बि होती है, तब-तब मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात् साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ।
English Translation:- The Lord declared solemnly unto Arjuna -: O Arjuna, whenever good is overcome by evil, or whenever evil manifests itself throughout the world in such a way that good no longer exists. I will always appear on earth.
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