श्रीमद् भगवद् गीता तृतीय अध्याय कर्मयोग
ये त्वेतदभ्यसूयन्तो नानुतिष्ठन्ति मे मतम् |
सर्वज्ञानविमूढांस्तान्विद्धि नष्टानचेतस: || ३२ ||
ye tvetad abhyasūyanto nānutiṣhṭhanti me matam
sarva-jñāna-vimūḍhāns tān viddhi naṣhṭān achetasaḥ
Hindi Translation:- परन्तु जो मनुष्य मुझ में दोषारोपण करते हुए मेरे इस मत के अनुसार नहीं चलते हैं, उन मूर्खों को तू सम्पूर्ण ज्ञानों में मोहित और नष्ट हुए ही समझ।
English Translation:- On the other hand, O Arjuna, those of poor intelligence that do not follow my teaching are ignorant; regard them as mere fools.
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