श्रीमद् भगवद् गीता तृतीय अध्याय कर्मयोग
प्रकृतेर्गुणसम्मूढा: सज्जन्ते गुणकर्मसु |
तानकृत्स्नविदो मन्दान्कृत्स्नविन्न विचालयेत् || २९ ||
prakṛiter guṇa-sammūḍhāḥ sajjante guṇa-karmasu
tān akṛitsna-vido mandān kṛitsna-vin na vichālayet
Hindi Translation:- प्रकृति के गुणों से अत्यन्त मोहित हुए मनुष्य गुणों में और कर्मों में आसक्त्त रहते हैं, उन पूर्णतया न समझने वाले मन्द बुद्भि अज्ञानियों को पूर्णतया जानने वाला ज्ञानी विचलित न करे।
English Translation:- The Lord spoke -: Those who are deceived by the Gunas of nature or Prakrithi and are deceived by karma, develop an attachment to the Gunas and to their actions. A wise person would not disturb, or have anything to do with these ignorant beings, O Arjuna.
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