श्रीमद् भगवद् गीता तृतीय अध्याय कर्मयोग
सक्ता: कर्मण्यविद्वांसो यथा कुर्वन्ति भारत |
कुर्याद्विद्वांस्तथासक्तश्चिकीर्षुर्लोकसंग्रहम् || २५ ||
saktāḥ karmaṇyavidvānso yathā kurvanti bhārata
kuryād vidvāns tathāsaktaśh chikīrṣhur loka-saṅgraham
Hindi Translation:- हे भारत ! कर्म में आसक्त्त हुए अज्ञानी जन जिस प्रकार कर्म करते हैं, आसक्त्ति रहित विद्बान् भी लोक संग्रह करना चाहता हुआ उसी प्रकार कर्म करे।
English Translation:- The Blessed Lord said -: Just as the ignorant perform actions with attachment to things and/or beings, so should the wise men take action for the preservation of world order, without developing any attachments whatsoever, O Arjuna.
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