श्रीमद् भगवद् गीता तृतीय अध्याय कर्मयोग
देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु व: |
परस्परं भावयन्त: श्रेय: परमवाप्स्यथ || ११ ||
devān bhāvayatānena te devā bhāvayantu vaḥ
parasparaṁ bhāvayantaḥ śhreyaḥ param avāpsyatha
Hindi Translation:- तुम लोग इस यज्ञ के द्वारा देवताओं को उन्नत करो और वे देवता तुम लोगों को उन्नत करें। इस प्रकार नि:स्वार्थ भाव से एक-दूसरे को उन्नत करते हुए तुम लोग परम कल्याण को प्राप्त हो जाओगे।
English Translation:- The Lord said unto Arjuna -: The Gods or Deities grow with Yagya or sacrifice. When the Deities grow, they will help you to grow. Thus, both Deity and mankind grow continually. they will both achieve their supreme goal.
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