श्रीमद् भगवद् गीता द्वितीय अध्याय सांख्ययोग
विहाय कामान्य: सर्वान्पुमांश्चरति नि:स्पृह: |
निर्ममो निरहङ्कार: स शान्तिमधिगच्छति || ७१ ||
vihāya kāmān yaḥ sarvān pumānśh charati niḥspṛihaḥ
nirmamo nirahankāraḥ sa śhāntim adhigachchhati
Hindi Translation:- जो पुरुष सम्पूर्ण कामनाओं को त्याग कर ममता रहित, अहंकार रहित और स्पृहारहित हुआ विचरता है, वही शान्ति को प्राप्त होता है अर्थात् वह शान्ति को प्राप्त है।
English Translation:- The Blessed Lord said -: By giving up all desires, freeing oneself of all attachments and without constantly thinking of oneself or of one’s possessions, only then, one may live in realistic peace.
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