श्रीमद् भगवद् गीता द्वितीय अध्याय सांख्ययोग
क्रोधाद्भवति सम्मोह: सम्मोहात्स्मृतिविभ्रम: |
स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति || ६३ ||
krodhād bhavati sammohaḥ sammohāt smṛiti-vibhramaḥ
smṛiti-bhranśhād buddhi-nāśho buddhi-nāśhāt praṇaśhyati
Hindi Translation:- क्रोध से अत्यन्त मूढ़भाव उत्पन्न हो जाता है, मूढ़भाव से स्मृति में भ्रम हो जाता है, स्मृति में भ्रम हो जाने से बुद्भि अर्थात् ज्ञान शक्त्ति का नाश हो जाता है और बुद्भि का नाश हो जाने से यह पुरुष अपनी स्थिर से गिर जाता है।
English Translation:- The Blessed Lord spoke -: From anger, stems delusion (false beliefs or assumptions); delusion causes loss of one’s confused mind; the confused mind makes a person lose his/her ability to reason and lose their power to solve his/her problems. When one loses his/her power to reason, the person will suffer ultimate death and destruction.
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