Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 28 | श्रीमद्भगवद्गीता

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श्रीमद् भगवद् गीता द्वितीय अध्याय सांख्ययोग

अव्यक्तादीनि भूतानि व्यक्तमध्यानि भारत |
अव्यक्तनिधनान्येव तत्र का परिदेवना || २८
||

avyaktādīni bhūtāni vyakta-madhyāni bhārata
avyakta-nidhanānyeva tatra kā paridevanā

Hindi Translation:- हे अर्जुन ! सम्पूर्ण प्राणी जन्म से पहले अप्रकट थे और मरने के बाद भी अप्रकट हो जाने वाले हैं, केवल बीच में ही प्रकट है ; फिर ऐसी स्थिति में क्या शोक करना है।

English Translation:- ARJUNA, all beings are unseen before birth, are seen after birth and during their lives; again, however, all beings are unseen after death. So what cause is there to worry?


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